आदर्शों के तड़के के बिना कोई बात नहीं करते पर बस चले तो जोंक बनकर एक दूसरे का रक्त पी जाएँ.
2.
मैं आपसे युद्ध अब से कुछ मिनट पूर्व हार चुका हूँ! अब से आप मेरे गुरु हैं! और कहते हैं दोनों गहरे मित्र बन गए! यहाँ तो बात साम्राज्य की थी और हम तो अपनी बात से असहमत होने वाले पर बस चले तो तलवार चला दे!